Description
नवग्रह पूजन का विशेष महत्व पुराणों में वर्णित है| नवग्रह-पूजन के लिए सर्वप्रथम ग्रहों का आह्वान करके उनकी स्थापना की जाती है| मूर्ति का स्वरूप: नवग्रह शांति के लिए सबसे आवश्यक है उस ग्रह की प्रतिमा का होना। भविष्यपुराण के अनुसार ग्रहों के स्वरूप के अनुसार प्रतिमा बनवाकर उनकी पूजा करनी चाहिए। नवग्रहों की शांति द्वारा जीवन की अनेक समस्याओं को दूर करने में सहायक हो सकते हैं| नवग्रहों के विषय में अनेक तथ्यों को बताया गया है जिनमें मंत्रों का महत्व परिलक्षित होता है| इस विषय में ज्योतिष में अनेक सिद्धांत प्रचलित हैं| नव ग्रह स्त्रोत इसी के आधार स्वरुप एक महत्वपूर्ण मंत्र जाप है जिसके द्वारा समस्त ग्रहों की शांति की जा सकती है| नवग्रह स्त्रोत में मंत्र तथा दान-पुण्य करके इन ग्रहों की शांति की जा सकती है| कुंडली में स्थित इन नवग्रहों की शांति के लिए भी इस नवग्रह स्त्रोत का बहुत महत्व रहता है| कभी - कभी सब कुछ सही होते हुए भी अगर हमारे ग्रह नक्षत्र खराब चल रहें हो तो कुछ अच्छाक नहीं होता| शुभ अशुभ कर्मों के अनुसार ग्रहों का भी मनुष्य के जीवन पर प्रभाव पड़ता है| अशुभ ग्रहों का प्रभाव दूर कर शुभ ग्रहों को अनुकूल बनाने के लिए ग्रहों के मंत्र, प्रार्थना तथा उनसे संबंधित णमोकार मंत्र एवं तीर्थंकर का जाप बताया गया है| नौ ग्रह में जिस ग्रह का जाप किया जाये, उसी ग्रह के अनुकूल रंग के वस्त्र, माला, तिलक तथा रत्न धारण करने से शीघ्र लाभ मिलता है| गृह शांति की पूजा करवाने के लिए पंडित अशोक व्यास जी (+91 9617515092) या पंडित श्रीराम व्यास जी (+91 8305820364) या पंडित ओमप्रकाश व्यास जी (+91 9977443149) से संपर्क कर सकते है।